Saturday, July 19, 2025
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ASMNI प्रदेश कार्यकारिणी ने किया “राजस्थान साइबर स्पोर्ट सेंटर” का दौरा

18 जून, 2025 जयपुर। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया (ASMNI) की प्रदेश कार्यकारिणी सहित पत्रकारों ने सामाजिक सरोकार के तहत आम जन से जुड़ी समस्या साइबर अपराध की रोकथाम हेतु राजस्थान पुलिस द्वारा कोगटा फाउंडेशन के सहयोग से पुलिस कमिश्नरेट में संचालित साइबर स्पोर्ट सेंटर का विजिट कर उसकी कार्यप्रणाली का अध्ययन  किया।

राजस्थान पुलिस के आधुनिक प्रयास  के अंतर्गत साइबर अपराध संबंधित सभी अपराधों के लिए वन स्टॉप क्राइसिस सेल का नए अंदाज में बढ़ती हुई समस्याओं के निराकरण की अनूठी पहल के तहत एडिशनल डीसीपी श्रीमती रानू शर्मा के नेतृत्व में आम आदमी के द्वारा साइबर अपराध और उससे जुड़ी हुई परेशानीयों को खत्म करने के लिए यह प्रयास प्रारंभ किया है।

अब साइबर अपराध, ओटीपी फ्रॉड, ऑनलाइन दोस्ती मित्रता, मोहब्बत अंतर्गत धोखेबाजी और उनसे जुड़ी सभी समस्याओं के सक्षम, कानूनी और मानवीय आधार पर निराकरण हेतु एक डेडीकेटेड यानी समर्पित हेल्पलाइन परिसर का आगाज़ राजस्थान पुलिस टीम  कमिश्नरेट स्थित साइबर सपोर्ट सेंटर में कर चुकी है।

एडीसीपी श्रीमती शर्मा के अनुसार यह सेंटर एक वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर के तरह काम करेगा। कुछ खास तथ्य इस प्रकार है यह सेंटर एनजीओ रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म की सहायता से और कोगटा फाउंडेशन के सहयोग से राजस्थान पुलिस संयोजन में संचालित हो रहा है।

एडीसीपी श्रीमती शर्मा ने बताया एनजीओ रिस्पॉन्सिबल नेटिज्म इस श्रेत्र में बड़ा अनुभव रखता है और तकरीबन 18 लाख छात्रों को अब तक साइबर अपराध के श्रेत्र में जानकारी साझा कर चुका है। तकरीबन 12 साल से इस श्रेत्र में अपनी सेवाएं देते हुए लगभग 45000  प्रकरणों का निस्तारण कर चुका है । यह सेंटर साइबर पीड़ितों को कानूनी, तकनीकी और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट देने के लिए पूर्ण रूप से कटिबद्ध है। साथ ही राजस्थान पुलिस की सहायता से छात्रों एवं सीनियर सिटीजन्स को समय – समय पर सक्षम जागरूक कार्यक्रमों द्वारा   प्रयासरत है।

इस साइबर सपोर्ट सेंटर में 2 काउंसलर और साइबर एक्सपर्ट हमेशा उपलब्ध होंगे साथ ही राजस्थान पुलिस के साइबर अपराध से संबद्ध दो कांस्टेबल भी यहां हमेशा उपस्थित रहते हैं। जो कि पीड़ितों की शिकायत दर्ज करने में पूर्ण रूप से मदद करते हैं।

यहां महत्वपूर्ण है कि मानवीय दृष्टि से पीड़ितों को पूर्ण रूप से साइबर क्राइम, ओटीपी फ्रॉड एवं आर्थिक धोखे से उत्पन्न मानसिक अवसाद के दौरान अपने स्तर पर काउंसिलिंग करके उन्हें मानसिक रूप से मजबूत करने का प्रयास करतें हैं। ताकि ऐसे में उनसे कोई गलती जैसे आत्महत्या या अन्य किसी तरह से खुद को नुकसान पहुंचाने जैसे कार्य ना हो।

एक प्रश्न के जवाब में एडीसीपी श्रीमती शर्मा ने बताया कि जबसे फोन काल से पूर्व विज्ञापन रिकार्ड से 1930 पर कॉल के जरिए रिपोर्ट करने से साइबर अपराधों में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है।हमारा ध्येय आमजन को सुविधा और स्पोर्ट उपलव्ध करवाकर इन अपराधों की रोकथाम का है। उन्होंने यह भी कहा कि आमजन को भी अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन के तहत मोबाइल के उपयोग में सावधानी बरतने की अवश्यकता है। कई बार हम लालच में फंसकर इन अपराधियों की गिरफ्त में आ जातें हैं, हमें इनसे बचना होगा।

राजस्थान पुलिस में साइबर थाने तो पहले से ही है कार्यरत हैं अब इस प्रकार के समर्पित सपोर्ट सेंटर इस मिशन में मिल का पत्थर साबित होंगे। एडीसीपी श्रीमती शर्मा और उनकी टीम इस पूरे कार्य में पूरे जोश के साथ आमजन की सहभागिता से एक सफल अंजाम की तरफ बढ़ रही है।

उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम घटित होने की स्थिति में नंबर  8764866039 और 8764866040 पर संपर्क किया जा सकता है। पीड़ित नागरिकों से यह अपेक्षा की जाती है कि साइबर अपराध होने पर गोल्डन आवर यानी कम से कम समय में 72 घंटे के अंदर,1930 पर इत्तिला देकर या इस सेंटर की सेवाएं ली जा सकती है।

इस विजिट में वरिष्ठ पत्रकार गुलाब बत्रा, प्रदेशाध्यक्ष गोपाल गुप्ता, महामंत्री अमृता मौर्य, बाबू लाल सोनी, पीयूष कुलश्रेष्ठ, रूपेश टिंकर, चंद्र शेखर शर्मा, भानु राज, गोपाल व्यास, कृष्ण गोपाल शर्मा सहित अन्य सदस्य एवं सुबोध महाविद्यालय विधि की छात्राएं भी उपस्थित रहीं।

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