Saturday, May 17, 2025
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विकसित भारत के अंतर्गत मन, आचार, विचार भी विकसित होंगे – राज्यपाल

16 अप्रैल, 2025 जयपुर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को चुनौतियों से लड़ने वाला मन बनाने का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं में शिक्षा में जो बजट आवंटित किया है वह विद्यार्थियों के विकास के लिए है। शिक्षा से विद्यार्थी का मन विकसित होता है तो अपने आप ही आपदाओं से जूझने के लिए समाज तैयार होगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के संकल्प के अंतर्गत मन, आचार, विचार भी विकसित होंगे। राज्यपाल ने विनोबा भावे के कहे की चर्चा करते हुए कहा कि जब देश आजाद हुआ और देश का झंडा बदला गया तभी शिक्षा नीति भी बनानी चाहिए थी। मगर यह बदली नहीं, इसलिए विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता नहीं बढ़ी। अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जो बनी है वह विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास से और विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने से जुड़ी है।

राज्यपाल बागडे बुधवार को प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा अभियान) के अंतर्गत आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, सेवा भारती और राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में आपदा प्रबंधन एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली विषयक राज्य स्तरीय कार्यशाला में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने “मानव जोड़ों आदमी जोड़ो” की शिक्षा दी है। इस शिक्षा का अर्थ है, मन से लोगों से संबंध बनाए। देश प्रेम से युवा पीढ़ी जुड़े। विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता, शारीरिक क्षमता बढ़े। इसलिए आदमी जोड़ने का कार्य हो। आदमी जोड़ने का अर्थ है, भारत को एक सूत्र में बांधा जाए।

राज्यपाल बागडे ने नकल मुक्त शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी तभी यह संभव हो सकेगा। उन्होंने रटाने की बजाय मन से पढ़ने, पढ़ाने लिए कार्य किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वही ज्ञान सार्थक है जो समय के साथ प्रासंगिक रहे। नई शिक्षा नीति इसी आधार पर तैयार की गई है। यह भारतीय ज्ञान परंपरा का वह आलोक है, जिसमें जीवन की तमाम आपदाओं से मुकाबला करने की दृष्टि है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में आपदा के बाद पुनर्वास के तरीके भी बताए गए हैं।
आरंभ में उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने वाली संस्थाओं, कार्यक्रम अधिकारियों व स्वयंसेवकों को सम्मानित भी किया।

उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने आपदा प्रबंधन से जुड़ी भारतीय ज्ञान परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय ग्रंथों में बाढ़, सूखा, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के तरीके बताए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में भूस्खलन से बचाव के लिए उचित स्थान पर घर बनाना, बाढ़ से बचाव के लिए बांध और नहरें बनाना, और सूखा से बचाव के लिए पानी का संरक्षण की परंपराएं हमारे यहां आपदा प्रबंधन रूप में ही बनी। उन्होंने राजस्थान में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता पर के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में भी जानकारी दी।

इस दौरान अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले ने मुख्य वक्ता के रूप में आपदा प्रबंधन के अंतर्गत देश में समय—समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा किए गए कार्यों के आलोक में पाठ्यक्रमो में भारतीय ज्ञान परंपरा के संदर्भ में आपदा से बचाव के लिए मन से विद्यार्थी तैयार किए जाने पर जोर दिया। आरंभ में कॉलेज शिक्षा सचिव भानु प्रकाश अटरू, आयुक्त डॉ. ओम प्रकाश बैरवा ने राजस्थान में कॉलेज शिक्षा की प्रगति और नई शिक्षा नीति, ज्ञान परम्परा और आपदा प्रबंधन के पाठ्यक्रमों के संबंध में जानकारी दी।

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