सांसद मदन राठौड़ ने उठाया भूजल संरक्षण का मुद्दा, मंत्री ने दिया जवाब
2 दिसंबर, 2025 जयपुर। भाजपा के राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने सदन के पटल पर जल प्रबंधन, भूजल संरक्षण और डिजिटल मॉनिटरिंग प्रणाली से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दे को उठाया। उन्होंने जल शक्ति मंत्रालय से यह स्पष्ट जानकारी मांगी कि देश में लागू विभिन्न जल संरक्षण योजनाओं की वास्तविक स्थिति क्या है और उनका आम जनता पर कितना असर पड़ रहा है। सांसद राठौड़ ने अटल भूजल योजना की प्रगति और इससे संबंधित राज्यों तथा ग्राम पंचायतों की वर्तमान स्थिति पर सवाल उठाए। जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि अटल भूजल योजना एक सामुदायिक नेतृत्व आधारित कार्यक्रम है, जिसे सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 8203 ग्राम पंचायतों में लागू किया गया है। यह क्षेत्र वे हैं जहां लंबे समय से जल की अत्यधिक कमी देखी जा रही है।
उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य भूजल स्तर में सुधार करना, समुदायों को जल प्रबंधन की मुख्य धारा से जोड़ना और मांग-पक्ष प्रबंधन को सशक्त बनाना है। इस योजना की बदौलत हजारों गांवों में जल उपयोग के प्रति जागरूकता और सहभागिता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि जल शक्ति अभियान कैच द रेन के तहत देशभर के सभी जिलों में व्यापक कार्य चल रहे हैं। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा विकसित जियो-मंडल जीआईएस प्लेटफॉर्म और डिजिटल डैशबोर्ड इस अभियान का प्रमुख आधार हैं। इनके माध्यम से विभिन्न राज्यों से प्राप्त आंकड़ों को रियल-टाइम में संकलित किया जाता है, जिससे निरीक्षण, निगरानी और मूल्यांकन बेहद सरल हो गया है। साथ ही, राष्ट्रीय भूजल सूचना प्रणाली (NAGIS) में जियो-टैग डेटा जोड़कर राज्यों को निर्णय लेने में बेहतरीन सहायता दी जा रही है।
मंत्री चौधरी ने बताया कि नवंबर 2023 के बाद भूजल स्तर की निगरानी के लिए पाईजोमीटर नेटवर्क का विस्तार, भू-जलकूपों के अवलोकन केंद्रों की संख्या में वृद्धि और डिजिटल जल सूचना प्रणाली का व्यापक विकास किया गया है। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य जल संरक्षण को वैज्ञानिक और सटीक डेटा पर आधारित बनाना है। राष्ट्रीय भूजल मीटरिंग कार्यक्रम में आईओटी आधारित उपकरण, भूजल सेंसर और डिजिटल मॉड्यूल का उपयोग कर भूजल स्तर का उच्च-रिज़ॉल्यूशन आंकड़ा प्राप्त किया जा रहा है, जिससे असंगतियां जल्दी पता चल जाती हैं। इसी प्रकार देशभर में लगभग 23,000 डिजिटल जल-स्तर रिपोर्ट्स का एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से भूजल की प्रवृत्तियों, रिक्त जलाशयों की क्षमता और रिचार्ज दरों का लगातार अध्ययन किया जाता है। यह नेटवर्क राज्यों को वैज्ञानिक नीति निर्माण में प्रत्यक्ष सहयोग देता है।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय जल सूचना-विज्ञान केंद्र देश का केंद्रीय जल डेटा बैंक है, जो स्थलाकृति, जलभृत संरचना, बाढ़ विश्लेषण और जल गुणवत्ता से संबंधित आंकड़ों को एकत्र करके सरकार के लिए विश्वसनीय तकनीकी आधार तैयार करता है। इसी प्रकार केंद्रीय जल आयोग द्वारा विकसित वेब-बेस्ड जल स्रोत सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से 592 बांधों में जलाशय स्तर और 150 मासिक नमूनों का मूल्यांकन किया जाता है। भारत का जल प्रबंधन अब तेजी से डिजिटल, वैज्ञानिक और पारदर्शी दिशा में आगे बढ़ रहा है। समुदायों की भागीदारी, आधुनिक तकनीक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग मिलकर देश को भविष्य के जल संकट से निपटने के लिए अधिक सक्षम बना रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि हर राज्य जल संरक्षण, भूजल उपयोग और सतत जल प्रबंधन में स्वावलंबी और तकनीकी रूप से सशक्त बने।

