अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद की राष्ट्रीय बैठक संपन्न
1 जून, 2025 जयपुर। आज जयपुर के टोंक रोड, वैदिक वन औषधि पादप केंद्र में अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद की राष्ट्रीय बैठक गंभीर चिंतन और ठोस संकल्पों के साथ संपन्न हुई। इस बैठक में भारत के 22 राज्यों से गौशाला संचालक, पर्यावरण विशेषज्ञ, गौ अनुसंधानकर्ता, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता ने की, जिन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण के कारण गौ माता की असमय मृत्यु को “राष्ट्रीय आपदा” करार दिया।मुख्य वक्ताबैठक में निम्नलिखित प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार और समाधान प्रस्तुत किए।
हंसील कांति लाल मारू, समेतसिकर, मुंबई राजकमल चक्रपाणि, काशीपुर, उत्तराखंड कविता खट्टर, D102, प्रीत विहार, दिल्लीआशीष श्रीवास्तव, 73 रचना विहार, भोपालदेवेन वर्मा, दिल्लीअर्पित जैन, नॉर्थ दिल्ली, दिल्ली – 110007अंकित वर्मा, BH-59 ईस्ट, नॉर्थवेस्ट दिल्लीबबिता बिरला, पत्नी यशवंत बिरला, E1-001 दीपांशु वाधवा, 86 जागृति अपार्टमेंट ऋषभ कुमार, नजीबाबाद, जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश श्लोक अग्रवाल, झालावाड़ मोनिका गुप्ता, सचिव, हैनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटीइन वक्ताओं ने गौ माता के संरक्षण, प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभाव, और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस उपायों पर अपने विचार साझा किए, जिससे बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर कार्ययोजना तैयार करने में मदद मिली।
संकट की गहराई-
प्लास्टिक से गौ माता की त्रासदीबैठक में प्रस्तुत आंकड़े और तथ्य देश के सांस्कृतिक, पर्यावरणीय, और आर्थिक ढांचे पर गहरा आघात दर्शाते हैं।
निराश्रित गायों की संख्या-
भारत के शहरी क्षेत्रों में अनुमानित 2.5 लाख से अधिक निराश्रित गायें सड़कों पर भटक रही हैं, जिनमें से अधिकांश प्लास्टिक युक्त कचरा खाने को मजबूर हैं।
प्लास्टिक सेवन का प्रभाव-
गौ माता के पाचन तंत्र में प्लास्टिक जमा होने से आंतरिक रुकावट, संक्रमण, और कैंसर जैसे रोग हो रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 60% से अधिक निराश्रित गायों की मृत्यु का कारण प्लास्टिक सेवन है।
आर्थिक नुकसान-
गौ-आधारित कृषि और डेयरी उद्योग को प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, क्योंकि गायों की औसत आयु और उत्पादकता में कमी आ रही है।
पर्यावरणीय तबाही-
प्लास्टिक कचरा न केवल गायों के लिए घातक है, बल्कि मिट्टी, जलस्रोतों, और वायु को भी प्रदूषित कर रहा है, जिससे जनस्वास्थ्य संकट गहरा रहा है।
प्रमुख शहरों में निराश्रित गायों और प्लास्टिक संकट का आंकड़ा-
शहर | निराश्रित गायें (संख्या) | प्लास्टिक कचरा (टन/दिन) | मृत्यु दर (प्लास्टिक सेवन से) |
---|---|---|---|
जयपुर | 12,000 | 600 | 55% |
दिल्ली (NCR) | 25,000+ | 3,000 | 65% |
मुंबई | 9,000 | 2,200 | 50% |
लखनऊ | 6,000 | 500 | 45% |
चंडीगढ़ | 3,500 | 200 | 40% |
भोपाल | 5,000 | 350 | 50% |
अन्य शहर (औसत) | 4,000–8,000 | 300–800 | 40–60% |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करबद्ध अपील अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस राष्ट्रीय संकट के समाधान के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। परिषद का स्पष्ट संदेश है “गौ माता भारत की आत्मा है। यदि भारत को बचाना है, उसकी मिट्टी, संस्कृति, और भावी पीढ़ियों को संरक्षित करना है, तो प्लास्टिक मुक्त भारत अब समय की मांग है।
परिषद की प्रमुख मांगें-
सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर तत्काल प्रतिबंध-
केंद्र सरकार द्वारा एकमुश्त नीति लागू कर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उत्पादन, वितरण, और उपयोग पर पूर्ण रोक लगाई जाए।प्लास्टिक कचरा प्रबंधन हेतु सख्त कानून: सड़कों, नालियों, और सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक कचरा फेंकने वालों के खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
शहरी गौ अभयारण्य की स्थापना-
प्रत्येक शहर में कम से कम एक गौ अभयारण्य स्थापित हो, जहाँ निराश्रित गायों को संरक्षण, चिकित्सा, और पोषण मिले। राष्ट्रीय जनजागृति अभियान: स्कूलों, कॉलेजों, नगर निगमों, और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान को जन-जन तक पहुँचाया जाए।वैकल्पिक सामग्री को प्रोत्साहन: जैविक और पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग सामग्री के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और कर छूट दी जाए।
परिषद का संकल्प-
गौ माता और भारत की रक्षाअखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद ने संकल्प लिया कि वह गौ माता के संरक्षण, पर्यावरण शुद्धिकरण, और भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। परिषद ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे प्लास्टिक के उपयोग को त्यागें और गौ माता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएँ।
डॉ. अतुल गुप्ता ने कहा “यह केवल गायों की रक्षा का सवाल नहीं है, यह भारत की आत्मा, मिट्टी, और भविष्य को बचाने की लड़ाई है। हम सरकार और जनता के साथ मिलकर इस संकट का सामना करेंगे।