जाने सूर्य ग्रहण में क्या करें और क्या ना करें?

जयपुर, 20 जून। कल 21 जून 2020 दिन रविवार को वैसे तो प्रति वर्ष की भांति अंतराष्ट्रीय योग दिवस होता हैं लेकिन कल के दिन सूर्य ग्रहण भी होगा जिसका प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा। कल ग्रहण सुबह 10 बजकर 14 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगेगा और दोपहर में 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा।

यह ग्रहण अपने देश मे भारत मे पूरी तरह से दिखाई देगा और अपना प्रभाव भी डालेगा। लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण से 12 घन्टे पहले सूतक लग जाता है। इसलिये दिन शनिवार दिनांक 20 जून 2020 को रात 10 बजकर 14 मिनट से सूतक लग जायेगा।

इस प्रकार सूतक और ग्रहण दोनों का प्रभाव 20 जून को रात 10:14 से 21 जून को दोपहर 02:24 तक रहेगा।

सूतक और ग्रहण के समय की सावधानियां :-

1) सूतक लगने के पहले सभी खाने पीने वाली वस्तुओ में तुलसी दल अवश्य डाले , विशेषकर दूध और पानी मे तो अवश्य।

2) सूतक लगने के पहले घर के पूजा स्थान, मन्दिर, रसोई घर और सभी ग्रन्थ विश्राम काल में दिए जाते है। फिर ग्रहण समाप्त होने पर मन्दिर की धुलाई सफाई करने के बाद तब पूजा पाठ किया जाता है।

3) ग्रहण लगे होने पर माला पर गुरुमंत्र, महामन्त्र, अरोग्यमन्त्र और अपने इष्ट देव का ध्यान करे या फिर हनुमान चालीसा का मन ही मन पाठ करे।

4) कोशिश करे कि ग्रहण की अवधि में मल-मूत्र का त्याग याँ कोई व्यवहारिक क्रिया ना करनी पड़े।

5) ग्रहण की अवधि में कुछ भी खाना पीना नही चाहिये।

6) ग्रहण की अवधि में किसी भी प्रकार का मनोरंजन से भी बचना चाहिये।

7) गर्भवती महिलाओ को अपने पेट पर लाल गेरू या फिर गाय का गोबर लगा लेना चाहिये।

8) किसी भी प्रकार से ग्रहण के समय सूर्य देव को नही देखना चाहिये, इससे आंखों की रोशनी उसी समय या बाद में भी जा सकती है।

9) ग्रहण की समाप्ति पर स्नान अवश्य करना चाहिये (ग्रहण के समय पहने हुये कपड़े भी धोना है)।

10) स्नान के बाद ही भगवान की मूर्ति इत्यादि को स्पर्श करें।

11) स्नान के बाद कुछ भी दान अवश्य करना चाहिये । सम्भव हो तो कम से कम एक ब्राह्मण के भोजन हेतु अन्न दान करे, और कुछ भी दक्छीना भी अवश्य दे।

संत और ग्रन्थ कहते हैं कि इस काल मे किया हुआ जप, भजन कई करोड़ गुणा फल देता है। इसलिए कई वैष्णव तो अपने कई पेंडिंग नियम इसी में कवर कर लेते हैं।

यह सब शाश्त्रो और प्रकृति द्वारा निर्धारित नियम है, जिसे हम सबको मानना चाहिये ।

एक उदाहरण – कोरोना काल से

हमारी संस्कृति के अनुसार पहले के समय मे :-

1) एक दूसरे से मिलने पर हाथ नही मिलाते थे, बल्कि हाथ जोड़कर एक दूसरे का अभिवादन करते थे। अब समस्त विश्व के शोधकर्ता और WHO इसी का अनुमोदन कर रहा है।

2) किसी भी पूजा पाठ के समय पंडित जी कुछ पूजा की क्रिया के बाद बार बार हाथ धुलवाते है। अब ऐसा करते रहने की सभी सरकारे दिशा निर्देश जारी कर रही हैं।

3) घर मे भोजन करने के पहले ढंग से हाथ पैर मूँह धोकर फिर खाना खाते थे। अब भी हमें ऐसा करने के लिए विश्व के बुद्धिजीवी परामर्श दे रहे हैं।

4) पहले भी बाहर से घर आने पर हाथ-पैर धोकर घर मे प्रवेश करना होता था, बिना पैर धोये घर मे प्रवेश नही होता था। (गावँ पर आधारित फिल्म नदिया के पार देखिये)। अब आज हम सब यही कर रहे हैं!

5) पहले भी जब हम सड़क पर निकलते थे, और धूल उड़ती थी या सफाई वाले सड़क साफ करते थे तो हम रूमाल से अपना नाक-मूँह ढक लेते थे। अब ऐसा ही करने में सबका हित है।

6) ये तो कुछ उदाहरण है, अभी बहुत कुछ है।

चूँकि आज की पीढ़ी को हमारे पुराने शास्त्रों में बनाये हुए नियम सही नही लगते, इसलिय उदाहरण दिया है।

प्रकृति के नियम हैं- जिनको यथा रूप से मानना ही चाहिए।

आरोग्य मन्त्र:- श्री अच्युताय नम:- श्री अनन्ताय नम: श्री गोविन्दाय नम:

रिपोर्ट्स – पुजारी दिवाकर शुक्ला

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