नामांकन प्रक्रिया के साथ ही FST एवं SST टीमें हुई सक्रिय, रहेगी पैनी नजर – चुनाव आयोग

30 अक्टूबर, 23 जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव- 2023 के लिए अभ्यर्थियों के नामांकन शुरू होने के साथ ही आज से एफएसटी के साथ एसएसटी यानि स्टैटिक सर्विलेंस टीम ने भी निर्वाचन विभाग की निगरानी में काम करना शुरू कर दिया है। अब प्रदेश भर में एसएसटी के 11 हजार 844 सदस्यों की तैनाती के बाद कुल 23 हजार 688 कार्मिक प्रदेश भर में हर गतिविधि पर पैनी नजर रख रहे हैं। अब तक एफएसटी यानी उड़न दस्ता दल के 11 हजार 844 सदस्य ही काम कर रहे थे। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उम्मीदवारों के चुनाव खर्चे की निगरानी के लिए लगाए गए 70 व्यय पर्यवेक्षकों ने भी क्षेत्र में कार्य शुरू कर दिया है। इस प्रकार, अब प्रदेश भर में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन, अवैध नकदी व अवैध सामग्री के परिवहन और निर्वाचन से जुड़े खर्च पर निर्वाचन आयोग की पैनी नजर रहेगी।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित किये जाने के साथ ही सभी विधानसभा क्षेत्रों में फ्लाईंग स्क्वायड टीम 24 घंटे सक्रिय हैं। वहीं, 30 अक्टूबर को चुनाव अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एसएसटी यानि स्थैतिक निगरानी दलों द्वारा भी कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।

सीईओ गुप्ता ने बताया कि स्टैटिक सर्विलांस टीम, फ्लाईंग स्कवायड टीम को निर्देश दिया गए है कि वे मतदान को प्रभावित करने वाली सामग्रियों यथा-नकद राशि, शराब, अन्य उपहार, सामूहिक भोज आदि पर बारीकी से नजर रखेंगे तथा आम सूचना संकलन कर प्रतिवेदित करेंगे। साथ ही, विशेष रूप से सक्रिय रहकर इन सामग्रियों की आवाजाही पर रोक लगायेंगे तथा नियमानुसार जब्ती एवं वांछित कानूनी कार्रवाई करेंगे। एफएसटी एवं एसएसटी की हर टीम में कार्यपालक मजिस्ट्रेट, थाने का वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, पुलिस कांस्टेबल और एक वीडियोग्राफर शामिल है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी गुप्ता ने बताया कि आदर्श आचार संहिता की पालना सुनिश्चित करने हेतु प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सघन जांच कार्य किया जा रहा है। लोग चुनाव अवधि में 50 हजार रूपये से अधिक नकद राशि लेकर परिवहन करने से बचें। बहुत जरूरी होने पर नकद राशि के संबंध में सम्पूर्ण दस्तावेज यथा बैंक स्टेटमेंट, नकद प्राप्ति का स्रोत एवं राशि के व्यय का प्रयोजन इत्यादि के संबंध में साक्ष्य दस्तावेज साथ में रखें ताकि जांच के दौरान निगरानी दल के समक्ष वांछित दस्तावेज प्रस्तुत कर परेशानी से बचा जा सके।

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