मुख्य सचिव उषा शर्मा को तत्काल कार्यमुक्त करे चुनाव आयोग — नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड

25 अक्टूबर, 23। प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद भी मुख्य सचिव सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रही है। मुख्य सचिव को पद से हटाने की मांग को लेकर राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। प्रतिनिधिमंडल में राठौड के साथ चुनाव प्रबन्धन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया, प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण सिंह बगडी, चुनाव प्रबन्धन समिति के सह संयोजक राजेन्द्र सिंह शेखावत तथा प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज शामिल रहे।

इसकी जानकारी देते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने प्रेसवार्ता कर कहा कि चुनाव आयोग की ओर से समय समय पर जारी किए परिपत्रों में निर्देशित किया गया है कि जिन अधिकारियों का सेवाकाल बढाया गया है वे चुनाव संबंधित किसी भी कार्य से जुड़े नहीं रह सकते। राजस्थान में चुनाव के समय आचार संहिता की पालना में मुख्य सचिव की मुख्य भूमिका रहती है। चुनाव आयोग की ओर से जो स्क्रिनिंग कमेटी बनाई गई है उसमे पूरा नियंत्रण चैयरमेन के तौर पर मुख्य सचिव के पास ही रखा गया है। इस कमेटी में विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव उषा शर्मा सेवाकाल बढाए जाने के कारण सरकार से उपकृत अधिकारी है, इसके कारण वर्तमान पद पर रहते हुए उनके द्वारा निष्पक्ष रूप से कार्य नहीं करने और उपकृत करने वाले राजनीतिक दल के पक्ष में अपने पद का दुरूपयोग किए जाने की संभावना है। इसके चलते तत्काल प्रभाव से उषा शर्मा को कार्यमुक्त किया जाए और आचार संहिता लागू होने के बाद उनके किए गए निर्णयों को भी शून्य घोषित किया जाए। इसके लिए भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को भी ज्ञापन सौंपेगा।

इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने कहा कि प्रदेश में महंगाई राहत शिविर लगाकर शुरू की गई अन्नपूर्णा राशन किट योजना, गैस सिलेण्डर सब्सिडी योजना और महिलाओ को स्मार्ट फोन योजना के लिए सरकार ने तीन माह के लिए ही बजट दिया था। ऐसे में अब ये सभी योजनाएं बंद हो गई है। इन योजनाओं के बंद होने का मुख्य कारण राज्य सरकार की ओर से पर्याप्त बजट का आवंटन नही किया जाना था ना कि आचार संहिता के कारण यह योजना रुकी है।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के स्पष्ट निर्देश है कि चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी नेता धार्मिक आधार पर देवी देवताओं की पूजा अर्चना पर टिप्पणी नहीं करेगा लेकिन पिछले दिनों प्रियंका वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जो टिप्पणी की थी वह आचार संहिता का उल्लंघन थी। इसको लेकर चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा गया था लेकिन अब तक उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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