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कोरोना संकट में सीएम गहलोत तुष्टिकरण ना करके सेना की मदद लें – सतीश पूनिया

आज गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी, राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष डा. सतीश पूनियाँ ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के कारण हालात बिगड़ रहे है। मुख्यमंत्री वोट बैंक के कारण प्रभावित इलाक़ों में सख़्ती नहीं दिखा पा रहे है।

वीडियो कांफ़्रेसिंग के माध्यम से पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए पूनियाँ ने कहा कि सरकार की नियत ठीक नहीं है, एक समुदाय विशेष के प्रति प्रेम के चलते वो संक्रमित इलाक़ों में कर्फ़्यू और लाक़डाउन की पालना नहीं करवा पा रही है, इन इलाक़ों से निकल कर लोग दूसरे जिलों में जाकर संक्रमण फैला रहे है, यही कारण है कि 20 दिन पहले तक प्रदेश में केवल 4 जिलों में संक्रमित लोग थे और पुर्ण लाकडाउन के बावजूद 25 जिलों तक संक्रमण पहुँच गया है।

पूनियाँ ने कहा की कुछ लोगों की वजह से प्रदेश के लाख़ो लोगों के जीवन को संकट में नहीं डाला का सकता। वोट बैंक खिसकने के डर से अगर सख़्ती नहीं कर पा रहे हो तो समुदाय विशेष के प्रभाव वाले इलाक़ों को बीएसएफ और सीआरपीएफ़ के हवाले कर दो।

पूनियाँ ने कहा की जयपुर शहर के दो कांग्रेसी विधायक पुरी सरकार पर भारी पड़ रहे है। तुष्टिकरण की यह पराकाष्ठा है कि तबलिगी जमात का नाम सूची से हटाने के बाद सरकार ने जिन मोहल्लों में संक्रमण फैला हुआ है, उन मोहल्लों का ज़िक्र करने पर भी रोक लगा दी है। इस मानसिकता से ऊपर उठकर अगर गहलोत सरकार ने कार्यवाही नहीं की तो सामुदायिक संक्रमण की पुरी सम्भावना बनती जा रही है। मुख्यमंत्री के खुद के शहर में भी समुदाय विशेष के लोग किसी सरकारी नियम की पालना नहीं कर रहे है।  मजबूर होकर वहाँ के कलेक्टर ने बीएसएफ तैनात करने के लिए 12 अप्रेल को पत्र लिखा जिसे भी गहलोत सरकार ने दबा लिया।भीलवाड़ा में संक्रमण रुकने का श्रेय वहाँ की जनता, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मियों का है, मुख्यमंत्री श्रेय लेना चाहते है तो वो रामगंज को भी भीलवाड़ा बना दे।

पूनियाँ ने कहा की जैसी ही संक्रमण ने राजस्थान में दस्तक दी, खुद की पहल पर वे खुद नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के साथ मुख्यमंत्री से मिलने गए और हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया। उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के साथ सीएस और डीजीपी से मिले और सकारात्मक सुझाव दिए लेकिन अब जब लग रहा है की सरकार बदनियती से काम कर रही है, राशन, भोजन वितरण, खाद्य सामग्री वितरण में राजनीतिक विचारधारा और धर्म देखकर भेदभाव कर रही है। कोरोना संकट के रोकथाम में भी तुष्टिकरण कर रही है तो बोलना पड़ रहा है।

पूनियाँ ने कहा की भारत सरकार ने हर तरह से राजस्थान की सरकार को सहायता दी, उज्ज्वला योजना में तीन महीने के लिए मुक्त रिफ़िलिंग, प्रधानमंत्री फ़सल बीमा, किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसान के खाते में 2 हज़ार रुपए, विधवा-विकलांग पेंशन, बीपीएल परिवारों को तीन महीने का मुक्त राशन, जनधन खातों में पैसे डालकर जनता को सीधा फ़ायदा दिया। जनता को तकलीफ़ ना हो इसके लिए हज़ारों करोड़ की सहायता राज्य सरकार को दी, फिर भी प्रदेश सरकार कुछ कर नहीं पा रही है।

भाजपा ने विपक्ष के अपने धर्म को निभाते हुए लाक़डाउन की शुरुआत से ही सामुदायिक रसोई के माध्यम से पूरे प्रदेश में अब तक लगभग 60 लाख 73 हज़ार भोजन पैकेट, 22 लाख 33 हज़ार खाद्यसामग्री के पैकेट अपने 1 लाख 49 हज़ार कार्यकर्ताओं के माध्यम से बाँटे है। साथ ही पीएम केयर फ़ंड में पार्टी के प्रयासों से 1 लाख 33 हज़ार लोगों की सहभागिता से प्रदेश से अब तक 15 करोड़ 4 लाख 7 हज़ार 862 रुपए जमा कराए गए है।

पूनियाँ ने कहा की प्रदेश में कोई अगर सोनिया गांधी पर कोई टिप्पणी कर दे तो मुक़दमा दर्ज हो जाता है, लेकिन समुदाय विशेष के लोग लगातार विभिन्न माध्यमों से प्रधानमंत्री मोदी पर भद्दी टिप्पणी करते है पर कोई कार्यवाही नहीं होती। यहाँ तक की पुष्कर के भाजपा विधायक पर तो मुक़दमा दर्ज हो गया पर भगवान राम और सीता पर टिप्पणी करने वाला मुस्तफ़ा खुला घुम रहा है।

प्रधानमंत्री की अपील पर कोरोना वरियर्स के समर्थन में थाली-ताली बजाने पर पोकरण के मांडवा गाँव के रेवंतसिंह की समुदाय विशेष के लोगों द्वारा हत्या हो जाती है, सरकार उन्हें बचाने की कोशिश करती है, जब भाजपा दबाव डालती है तब मुक़दमा दर्ज होता है।
पूनियाँ ने कहा की टास्क फ़ोर्स की रिपोर्ट भी यह कहती की जमात के कारण संक्रमण फैैैला तो राजस्थान की सरकार को लोगों की जान की क़ीमत पर तुष्टिकरण नहीं करना चाहिए।

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