जघन्य घटनाओं में पुलिस की त्वरित कार्यवाही सराहनीय, जल्द खुलेंगे 50 फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट – मुख्यमंत्री

2 सितंबर, 23 जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में पीडितों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के संबंध में केन्द्र को प्रस्ताव भिजवाने के साथ ही राज्य स्तर पर भी उच्च न्यायालय से विमर्श कर फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने आपराधिक घटनाओं के बाद शव रखकर प्रदर्शन को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे अनुसंधान कार्य में वैधानिक अड़चनें आने के साथ ही यह दिवंगत के प्रति भी असंवेदनशीलता है। उन्होंने पुलिस द्वारा मनचलों का रिकॉर्ड पुलिस थानों में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होने से ऐसी घटनाओं में कमी आई है एवं महिलाओं व अभिभावकों में सुरक्षा की भावना आई है। गंभीर अपराधों में केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत कार्यवाही कर त्वरित न्याय सुनिश्चित किया है। उन्होंने धरियावद व कुचामन सहित अन्य घटनाओं में पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही कर मुल्जिमों की तत्काल धरपकड़ की सराहना की।

सीएम गहलोत शनिवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए आदतन अपराधियों, जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों, मादक पदार्थों के तस्करों आदि पर कड़ा प्रहार किया जाए। सीएम गहलोत ने प्रत्येक थाना क्षेत्र में आदतन अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही अमल में लाने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने प्रभावी रात्रि गश्त की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त होमगॉर्ड्स को नियोजित किया जाए। उन्होंने नवसृजित जिलों सहित अन्य जिलों में रिक्त पुलिस की नफरी को ध्यान में रखते हुए कानून व्यवस्था संधारण हेतु होमगॉर्ड्स नियोजित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती जिलों में आपराधिक तत्वों के विरूद्ध सख्ती के साथ ही इन क्षेत्रों में अतिरिक्त जाब्ते के लिए होमगॉर्ड्स नियोजित करने एवं क्विक रेस्पांस टीमें गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त 112 वाहन भी नियोजित करने के निर्देश दिए।

सीएम गहलोत ने कहा कि देह का समय पर पोस्टमॉर्टम नहीं होने की स्थिति में साक्ष्य व सबूत कमजोर होने की संभावना होती है और इससे अपराधियों को लाभ भी मिल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कानून पारित किया है। कई अवसरों पर पीडित पक्ष द्वारा शव रखकर प्रदर्शन करने के कारण एफआईआर देरी से दर्ज करवाई जाती है। साथ ही डिटेन किए गए मुल्जिमों को भी इसका लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं। इन प्रदर्शनों से अनुसंधान व न्यायिक प्रक्रिया में अनेक अड़चनें पैदा करने वाली परिस्थितियां उत्पन्न होती है और पीडित परिवार को भी न्याय मिलने में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने असामाजिक तत्वों के उकसावे में आकर पार्थिव शरीर को लेकर प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति को अनुचित बताते हुए आमजन से इस संबंध में कानून का पालन करने का आग्रह किया है।

बैठक में पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा, प्रमुख शासन सचिव गृह आनंद कुमार, डीजी लॉ-एंड-ऑर्डर राजीव कुमार शर्मा, एडीजी इन्टेलीजेंस एस. सेंगथिर सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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