उच्च शिक्षा की हर प्रक्रिया ऑनलाइन हो – राज्यपाल मिश्र

आज राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि कोविड-19 से बचाव के लिए व्यक्तिगत दूरी रखना आवश्यक है। ऐसी स्थिति में एक साथ बैठकर शिक्षा लेना मुश्किल हो गया है। उन्होंने  कहा कि अब उच्च शिक्षा की हर प्रक्रिया का ऑनलाइन करना ही होगा। इन्टरनेट के साथ-साथ ऐसे प्लेटफार्म को विकसित करने की आवश्यकता है, जो व्यापक हो तथा एक समय में अधिक से अधिक विद्यार्थियों की आवश्यकता को पूरा कर सके। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा की ताकत संकाय में निहित होती है। आज बदले हुए परिवेश में संकाय को अपनी परम्परागत शिक्षण विधियों को बदलने और प्रौद्योगिकी केंद्रित शिक्षण को विकसित करने की आवश्यकता है। संकाय को अपने आप को सक्षम व्यक्तियों के रूप में स्थापित करना चाहिए, जो छात्रों की उम्मीदों को पूरा कर सके।

राज्यपाल मिश्र सोमवार को यहां राजभवन से कोविड-19 काल पश्चात उच्च शिक्षा संस्थाओं की भूमिका विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला को ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। डाॅ. के. एन. नाग की स्मृति में इस व्याख्यानमाला का आयोजन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा किया गया।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि सभी को एक जुट होकर कोविड-19 को पराजित करना है। उन्होंने कहा कि उनके पास विद्यार्थियों के बहुत से ई-मेल आ रहे हैं, जिनको पढ़ने से लगता है कि हमारे युवा भयग्रस्त हैं। कुलाधिपति ने कहा कि विद्यार्थी डरे नहीं, उनका भविष्य उज्ज्वल है। युवाओं के भविष्य को सुहढ बनाने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि युवाओं को उनकी अन्दर की शक्ति का एहसास कराने का प्रयास शिक्षा का लक्ष्य होता है। इसलिए युवाओं द्वारा मानवीय मूल्यों को व्यवहार में लाने और उनमें आत्मशक्ति जगाने के लिए शिक्षकों को भरपूर प्रयास करने होगे।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षकगण, विद्यार्थियों से संक्रमण के इस काल में संवाद बनाए रखें। छात्र कल्याण गतिविधियों का ऑनलाइन संचालन करें। युवाओं में आत्मविश्वास और मनोबल का संचार करे। साथ ही राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं की भी ऑनलाइन तैयारी करवाएं। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि कोविड -19 जनित संकट काल उच्च शिक्षा प्रणाली को बदलने का एक अवसर है। विश्वविद्यालयों को स्वयं को बदलने के लिए इस अवसर का उपयोग करना होगा। उच्च शिक्षा में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को बढ़ावा देने, पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण कर सैद्धान्तिक के साथ साथ प्रायोगिक अवयवों के सही संतुलन, सहयोग, कौशल विकास और सक्रिय संकाय भागीदारी जैसी बातों पर विश्वविद्यालयों को ध्यान केंद्रित करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि ‘‘मुझे शिक्षकों की बौद्धिक क्षमता एवं योग्यता पर पूरा विश्वास है। केन्द्र व राज्य सरकार, यूजीसी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्य सम्बंधित संस्थानों के दिशानिर्देशन में एकजुट होकर कार्य करना होगा। साथ ही सूचना तकनीक के अधिकतम उपयोग से बदले हुए परिदृश्य में काम करने की दृढ़ इच्छाशक्ति भी दिखानी होगी। तब ही हम सुदूर क्षेत्रों में बैठे विद्यार्थियों तक पहुॅंच सकेंगे।‘‘ राज्यपाल ने उच्च शिक्षा से जुडे़ सभी लोगों से अपेक्षा जताई है कि मौजूदा परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ हासिल करने के लिए सभी बाधाओं का प्रभावी रूप से सामना करने के लिए कड़ी मेहनत करें। सभी साथ मिलकर इस आपदा का डटकर सामना करें। राज्य एवं राष्ट्र को इस विपदा से निकालने के लिए हर संभव प्रयास करें।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डी. पी .सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों पर युवाओं के जीवन को सही दिशा देने के साथ शोध, अनुसंधान, शिक्षण सहित अनेक दायित्व है। उन्होंने कहा कि अब उच्च शिक्षा के कार्यों के तौर-तरीकों में बदलाव लाना होगा। कोविड-19 से पहले उच्च शिक्षा में कार्य करने का तरीका अलग था। अब नये तरीके अपनाने होगें। डी. पी. सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों का स्वास्थ्य व भविष्य विश्वविद्यालयों के लिए सर्वोपरि है। विद्यार्थियों से शिक्षक मित्रवत व्यवहार कर उनका मनोबल बढाये। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति नरेन्द्र सिंह राठोैड ने कहा कि युवाओं को आशावादी बनाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे है ताकि वे ना उम्मीद ना पालें। इस मौके पर राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल भी मौजूद थे। व्याख्यानमाला की जानकारी अजय कुमार शर्मा ने दी। मंजीत सिंह ने आभार व्यक्त किया और संचालन वीरेन्द्र नेपालिया ने किया। ये जानकारी डाॅ. लोकेश चन्द्र शर्मा, सहायक निदेशक, जनसम्पर्क, राज्यपाल राजस्थान ने मीडिया को दी।

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