लॉकडाउन में निजी स्कूल फीस ना मिलने पर विद्यार्थी का नाम ना कांटे – अशोक गहलोत

आज शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। जिसमें उन्होंने निजी स्कूलों से अपील करि हैं कि वैश्विक कोरोना महामारी में जारी लॉकडाउन के कारण कोई अभिभावक आर्थिक स्थिति के चलते फीस जमा नहीं करा पाता है तो निजी स्कूल ऐसे विद्यार्थी का नाम नहीं काटें। यदि कोई स्कूल ऐसा करता है तो राज्य सरकार उसकी मान्यता निरस्त कर सकती है। शिक्षा विभाग इस बात का भी परीक्षण कराए कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को फीस एवं अन्य शुल्कों में किस प्रकार राहत दे सकते हैं और उन विद्यालयों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो।

निवास पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए स्कूल शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े विषयों पर समीक्षा की। मानवता के समक्ष यह ऐसा संकट है जिसका हम सभी को मिलकर सामना करना है। ऐसे वक्त में एक-दूसरे का ध्यान रखकर ही हम इस मुश्किल वक्त का मुकाबला कर सकते हैं।

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं एवं बारहवीं कक्षाओं की शेष परीक्षाएं फिलहाल स्थगित रहेंगी। बाद में सीबीएसई द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के अनुरूप फैसला किया जाएगा, ताकि दोनों बोर्ड की परीक्षाओं में एकरूपता बनी रहे और प्रदेश के विद्यार्थियों का अहित न हो। इसी प्रकार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में भी परीक्षाओं का आयोजन स्थितियां सामान्य होने पर करवाया जा सकेगा।

शिक्षा विभाग ग्रीष्मावकाश में बच्चों को मिड-डे मील के लिए उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे। लॉकडाउन के कारण बच्चों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना संभव नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को सूखी राशन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।

लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती परीक्षा-2018 के अभ्यर्थियों को जिला एवं विभागों का आवंटन पुनः नई प्रक्रिया से करने के निर्देश दिए। सभी विभागों को मेरिट के आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुरूप चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराएं। उसके बाद संबंधित विभाग मेरिट एवं काउंसलिंग के आधार पर उन्हें जिला आवंटित करे। मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि भविष्य में सभी भर्तियों में प्रथम नियुक्ति सभी विभागों द्वारा मेरिट एवं काउंसलिंग के आधार पर ही दी जाए।

यूपीए सरकार के समय शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाकर गरीब वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। विगत कुछ वर्षों में इस कानून की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया।

अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कानून की पारदर्शिता के साथ पालना सुनिश्चित करवाई जाए। इसके लिए अभिभावकों की आय सीमा को एक लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रूपए किया जाए। इस बात पर जोर दिया कि आरटीई के जरिए बच्चों को बड़े नामी निजी स्कूलों में भी पढ़ने का अवसर मिले।

पिछली वसुंधरा सरकार के समय एकीकरण के नाम पर बड़ी संख्या में स्कूल बंद कर दिए गए थे। ऐसे विद्यालयों के अनुपयोगी पड़े भवनों का उपयोग विद्यालयों को पुनः खोलने के साथ-साथ जरूरत होने पर पंचायत, उप केन्द्र तथा सामुदायिक केन्द्रों के रूप में भी किया जा सकता है। प्रदेश में जिन महाविद्यालयों के भवनों का निर्माण नहीं हुआ है उनके लिए भी योजना बनाकर दें ताकि राज्य सरकार विभिन्न माध्यमों से इनके भवनों का निर्माण करवाने पर कार्यवाही कर सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!