अंतरराज्यीय चोर गिरोह का हुआ खुलासा

27 अप्रैल, 22 प्रतापगढ़। आज राजस्थान के प्रतापगढ़ थाना पुलिस ने अंतरराज्यीय चोर गिरोह का खुलासा किया है। थाना पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों दीपक सिसोदिया पुत्र दिलीप उर्फ पोला (20), मोनू सिसोदिया पुत्र शोभाराम (19), चंदन सिंह पुत्र जगजीवन सिंह (26) तथा हरवीर सिंह पुत्र शिवचरण सिंह (39) निवासी कड़ियासांसी थाना बोडा जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश को गिरफ्तार किया है।

प्रतापगढ़ एसपी अमृता दुहन ने बताया कि 23 मार्च को पीएनबी शाखा प्रतापगढ़ से केसीसी के ₹214000 निकाल कर ला रहे थाना सुहागपुरा निवासी रामनारायण के बैग में चीरा देकर अज्ञात व्यक्तियों ने रुपए निकाल लिए। पीड़ित की रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा व सीओ ऋषिकेश मीणा के मार्गदर्शन एवं थानाधिकारी रविंद्र सिंह चौधरी के नेतृत्व में घटना के खुलासे के लिए प्रतापगढ़ थाने से विशेष टीम गठित की गई।

टीम ने बैंक के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो दो महिलाएं पीड़ित के बैग से पैसे निकाल कर ले जाती और कुछ दूरी पर एक कार में बैठकर अपने साथियों के साथ जाती हुई नजर आई। फुटेज के आधार पर गोपनीय आसूचना के आधार पर अभियुक्तों की पहचान कड़िया सासी गांव निवासी मनोरमा उर्फ गुड्डी बाई, पूजा, मनदीप सिंह व मनोज सिसोदिया के रूप में की गई।

कोतवाली थानाधिकारी रविंद्र सिंह तुरंत टीम के साथ कड़िया सासी गांव पहुंचे। 3 दिन वहां रुके और सीसीटीवी फुटेज व मुखबिर की सूचना के आधार पर गिरोह के बारे में जानकारी हासिल की। स्थानीय पुलिस और लोगों से प्राप्त जानकारी व साईबर सैल प्रतापगढ़ की सूचना पर आरोपियों के उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में होने का पता चला। जिस पर आगरा पहुंचकर टीम ने चार आरोपियों को डिटेन कर लिया। चारों को अनुसंधान के बाद गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाकर पुलिस रिमांड प्राप्त किया गया है।

गिरोह का इतिहास :-

एसपी दुहन ने बताया कि मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ तहसील में स्थित गांव कड़ियांसांसी, गुलखेड़ी एवं हुलखेड़ी में सिर्फ सांसी समाज के लोग रहते हैं जो अपने नाम के आगे सरनेम सिसोदिया लगाते हैं। यह एक संगठित गिरोह के रूप में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस गिरोह के लोग बैंक से रुपए निकाल रहे व्यक्तियों के बैग में चीरा लगाकर, शादियों में शामिल होकर ज्वेलरी के बैग चुराने व बस- रेलवे स्टेशन से नकदी व आभूषण के बैग चुराने के आदी हैं। इन तीन गांव के लोग पूरे भारतवर्ष में इस तरह की वारदातें करते हैं।

पुलिस के गांव में घुसते ही हमला करने से भी नहीं चूकते :-

तीनों गांव में यह लोग संगठित होकर रहते हैं। गांव से पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करने देते। पुलिस के आने पर पूरा गांव संगठित हो जाता है। अगर पुलिस किसी अभियुक्त को ले जाने की कोशिश करती है तो सभी लोग मिलकर पुलिस पर हमला कर देते हैं। स्थानीय पुलिस व इनके बीच कई बार झड़पें व फायरिंग भी हो चुकी है। गांव में मुल्जिमों की तलाश में भारत के विभिन्न राज्यों से दो से पांच पुलिस पार्टियां हर रोज आती है।

पीड़ित रिपोर्ट दर्ज करवाने से भी कतराते हैं :-

इस गिरोह के लोग छोटे बच्चों व महिलाओं के साथ घूम कर पूरे भारत में शादियों से आभूषण व बैंकों में आने वाले की रेकी कर निरंतर चोरी करते हैं। स्थानीय लोग इनके बारे में कोई भी सूचना देने से कतराते हैं। जिस किसी वारदात का सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता चलता है तो यह लोग चुराया हुआ माल वापस मुलजिम छोड़ने या मुलजिम गिरफ्तार नहीं करने की शर्त पर दे देते हैं। इस कारण इनके खिलाफ वास्तविकता से कम प्रकरण दर्ज हैं।

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