पं० दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर प्रदेशभर में ”बूथ कमलोत्सव“ कार्यक्रम हुआ आयोजित

25 सितम्बर, 22 जयपुर। भारतीय जनसंघ के पुरोधा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में प्रदेशभर के करीब 52 हजार से अधिक बूथों पर ”बूथ कमलोत्सव“ कार्यक्रम आयोजित किये गए।

बूथ कमलोत्सव कार्यक्रमों में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां जयपुर के झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के बूथ क्रमांक 329, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर विराटनगर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदयपुर शहर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड, जयपुर शहर के सिविल लाइन में शामिल हुए। वहीं प्रदेश पदाधिकारी, सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि भी प्रदेश के विभिन्न जिलों में बूथों पर आयोजित बूथ कमलोत्सव कार्यक्रमों में शामिल हुए।

वहीं इसके बाद डॉ. सतीश पूनियां ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।

डॉ. पूनियां ने प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि, भारतीय जनता पार्टी का विपक्ष से एक मजबूत विकल्प बनने का जो लंबा संघर्ष है, उसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय इन दो शख्सियतों का बड़ा योगदान है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए बलिदान दिया और दूजे पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने उसी तरीके से आम आदमी, गरीब की सेवा करते हुए अन्त्योदय जैसा जीवन दर्शन देकर विपरीत परिस्थितियों में भारतीय जनसंघ को खड़ा किया।

आज अन्त्योदय का जो शब्द है, वो वास्तविक रूप से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार और दर्शन से निकला शब्द है, जो कालांतर में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने जनकल्याणकारी नीतियों के माध्यम से धरातल पर सार्थक किया है।

दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के संस्थापक महामंत्री थे, संगठन का उनको एक विशद अनुभव था, यही कारण है कि आज हम सब लोग एक विचार के नाते और संगठन के नाते स्थापित हैं तो उसमें दीनदयाल की बड़ी भूमिका है।

पार्टी बहुत नीचे तक विस्तारित हो इस लिहाज से यह तय किया है कि पंडित दीनदयाल की जयंती को हर बूथ पर पार्टी का कार्यकर्ता मनाएं। हमारा सौभाग्य है कि हमें अनकों महापुरूषों से प्रेरणा मिली, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी नीति, विचार और व्यवहार से केवल देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बना।

यह हमारा सौभाग्य है कि हम ऐसी परंपरा के हैं, जिन्होंने संघर्ष के जरिए यह मुकाम हासिल किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बारे में तो दो चीजें अक्सर कहीं जाती हैं, मानव दर्शन उन्होंने दिया, वह कहते थे कि इस सृष्टि में प्रकृति में सबका ही जो जीवित प्राणी हैं, उसका सबका ध्यान रखते हुए नीतियां बननी चाहिए और इसलिए वह कहते थे कि व्यक्ति का प्रकृति का अंतरसंबंध है, इसलिए वह पर्यावरण संरक्षण की बात करते थे, मानव के लोक-कल्याण के उत्थान की बात करते थे।

दीनदयाल मतलब अन्त्योदय, अन्त्योदय का मतलब जो अंतिम व्यक्ति है समाज का, जिसको सम्मान चाहिए, सहूलियत चाहिए, सुविधा चाहिए, उसको अधिकार चाहिए, उसका उत्थान कैसे हो, समाज और देश तभी प्रगति करता है कि जब उसके बारे में लोक कल्याण की नीतियां बनें, इस विचार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनकल्याणकारी नीतियों से समाज के अंतिम व्यक्ति को जोड़कर धरातल पर लागू कर रहे हैं, जिससे करोड़ों लाभार्थियों के सकारात्मक परिणाम हम सबके सामने हैं।

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