Breaking News

जानिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के जनक डॉ० प्रफुल्ल चंद्र राय को

आज इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जिस दवाई की पूरी दुनिया में मांग है अमेरिका जिसे भारत से लेने के लिए गुहार लगा रहा है उसे बनाने का गौरव भारतीय रसायन शास्त्र के जनक कुलभूषण श्री प्रफुल्ल चंद्र राय को है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, बीते कुछ दिन में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में इस नाम को बड़े हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। समूचे, विश्व समेत अमेरिका, ब्रिजिल में भी इस दवाई की जबरदस्त मांग है।

बहरहाल कोविड-19 के उपचार के लिए दुनिया भर में चर्चित हो चुकी क्लोरोक्वीन दवाई के बहाने भारत के महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र राय के बारे में जानना दिलचस्प होगा। आचार्य का सपना था कि देश इस मुकाम पर खड़ा हो, जहां उसे जीवनरक्षक दवाओं के लिए पश्चिमी देशों का मुंह न ताकना पड़े और आज दुनिया की कई बड़ी-बड़ी महाशक्ति कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत से मदद की गुहार लगा रही है ।।

ऐसे विषम हालातों में चलिए एक नजर डालते हैं महान वैज्ञानिक, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारकर कायस्थ रत्नआचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के जीवन पर, जिनकी एक सोच ने भारत को आज वैश्विक महामारी कोविड-19 के खिलाफ इतना अहम बना दिया।

भारतीय रसायन शास्त्र के जनक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय —
आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय को भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग का जनक माना जाता है। 2 अगस्त 1861 को बंगाल के खुलना जिले के (आज के बांग्लादेश) ररुली कतिपरा में कायस्थ परिवार में पैदा हुए प्रफुल्ल चंद्र रॉय के पिता हरीशचंद्र राय, फारसी के विद्वान थे। पिता ने अपने गांव में एक मॉडल स्कूल स्थापित किया था, इसमें प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने प्राथमिक शिक्षा पाई।

12 साल की उम्र में जब बच्चे परियों की कहानी सुनते हैं, तब प्रफुल्ल गैलीलियो और सर आइजक न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों की जीवनियां पढ़ने का शौक रखते थे। वैज्ञानिकों के जीवन चरित्र उन्हें बेहद प्रभावित करते। प्रफुल्ल ने जब एक अंग्रेज लेखक की पुस्तक में 1000 महान लोगों की सूची में सिर्फ एक भारतीय राजा राम मोहन राय का नाम देखा तो स्तब्ध रह गए। तभी ठान लिया कि इस लिस्ट में अपना भी नाम छपवाना है। रसायन विज्ञान उनके लिए पहले प्यार की तरह था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से डिप्लोमा लेने के बाद वह 1882 में गिल्क्राइस्ट छात्रवृत्ति लेकर विदेश जाकर पढ़ने लगे।

1887-88 में एडिनबरा विश्व विद्यालय में रसायन शास्त्र की सोसाइटी ने उन्हे अपना उपाध्यक्ष चुना। स्वदेश प्रेमी प्रफुल्ल विदेश में भी भारतीय पोशाक ही पहनते थे। 1888 में भारत लौटे तो शुरू में अपनी प्रयोगशाला में मशहूर वैज्ञानिक और अजीज दोस्त जगदीश चंद्र बोस के साथ एक साल जमकर मेहनत की। 1889 में, प्रफुल्ल चंद्र कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बन गए। प्रफुल्ल चन्द्र रॉय सिर्फ अपने विज्ञान से ही नही बल्कि राष्ट्रवादी विचारों से भी लोगों को प्रभावित करते, उनके सभी लेख लंदन के अखबारों में प्रकाशित होते थे।

वे अपने लेखों से ये बताते कि अंग्रेजों ने भारत को किस तरह लूटा और भारतवासी अब भी कैसी यातनाएं झेल रहे हैं। मातृभाषा से प्रेम करने वाले डॉ. रॉय छात्रों को उदाहरण देते कि रूसी वैज्ञानिक निमेत्री मेंडलीफ ने विश्व प्रसिद्ध तत्वों का पेरियोडिक टेबल रूसी में प्रकाशित करवाया अंग्रेजी में नही।

प्रफुल्ल चंद्र रे 1894 में प्रफुल्ल ने सबसे पहली खोज मर्करी (पारा) पर की, उन्होंने अस्थाई पदार्थ मरक्यूरस नाइट्रेट को प्रयोगशाला में तैयार कर दिखाया।

इसकी सहायता से 80 नए यौगिक तैयार किए और कई महत्वपूर्ण एवं जटिल समस्याओं को सुलझाया। अपने इस असाधारण कार्य के कारण विश्व स्तर पर श्रेष्ठ रसायन वैज्ञानिकों में गिने जाने लगे। इस शोध पर उनके प्रकाशनों ने उन्हें दुनिया भर में धूम मचाई। डॉक्टर प्रफुल्ल चन्द्र रॉय अपने ज्ञान और कार्य का उपयोग देशवासियों के लिए करना चाहते थे। वे जानते थे कि भारत जीवनरक्षक दवाओं के लिए विदेशों पर निर्भर है। अपनी आय का अधिकांश हिस्सा वे इसी कार्य में लगाते थे। घर पर पशुओं की हड्डियां जलाकर शक्तिवर्धक फॉस्फेट और कैल्शियम तैयार करते ।।

बतौर शिक्षक वह आज भी भारत के युवा रसायनज्ञों की एक पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं। मेघनाद साहा और शांति स्वरूप भटनागर जैसे प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक उनके चेले रहे हैं। प्रफुल्ल चंद्र का मानना था कि भारत की प्रगति औद्योगिकीकरण से ही हो सकती है, उन्होंने अपने घर से काम करते हुए, बहुत कम संसाधनों के साथ, महज 800 रुपये की अल्प पूंजी से भारत का पहला रासायनिक कारखाना स्थापित किया ।।

1901 में, इस अग्रणी प्रयास के परिणामस्वरूप बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की नींव पड़ी, आज बंगाल केमिकल्स 100 से ज्यादा साल से समृद्ध विरासत के साथ फार्मास्यूटिकल्स और केमिकल्स के क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!