भारत का हर जन्मा बच्चा बोलेगा गीता

14 मई, 22 चूरू। देश औद दुनिया को गीता प्रेस, गोरखपुर के रूप में अवदान देनेवाले भक्त वत्सल सेठजी जयदयाल गोयंका की नगरी चूरू में शनिवार को प्रेस के शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ।

वर्ष 1922 में भक्त वत्सल जयदयाल गोयनका ने भाईजी हनुमान प्रसाद पौद्दार के साथ मिलकर गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना कर न केवल गीता-रामायण और भारतीय ग्रंथों का प्रकाशन कर लागत मूल्य में घर घर पहुंचाने की पहल की बल्कि सनातन संस्कृति की ध्वजा दुनिया में फहराई। इसी गीता प्रेस के 100वें वर्ष में प्रवेश पर शनिवार को गीता प्रेस गोरखपुर शताब्दी पर्व का शुभारंभ यहां चूरू के चांदनी चौक स्थित अग्रसेन भवन में हुआ। गणेश पूजन, हनुमान चालीसा पाठ से शुरू हुए महोत्सव में शामिल श्रद्धालू उस समय स्तब्ध रह गए जब बालक गोपेश व नन्ही बालिकि ऋद्धि ने गीता के 12वें व 15वें अध्याय के श्लोक सुनाएं। इन दोनों को पूरी गीता कण्ठस्थ है जानकर बड़े भी हैरान हो गए।

देवकीनंदन ने की पूजन, पाठ व संर्कीतन करवाया तो उपस्थित श्रद्धालू नर-नारियों ने सामूहिक स्वर दिया।
महावीर जी गोटेवाला ने एक वर्ष तक शताब्दी महोत्सव पर्व के रूप में मनाने की घोषणा की।

सीकर के नारायण माथुर ने गीता प्रेस को सनातन संस्कृति और गीता जैसे ग्रंथों के लिए आलौकिक अनुसंधान बताते हुए कहा कि सेठजी का यह अवदान आनेवाले कल के लिए नव विज्ञान का केन्द्र बनेगा। उन्होंने कहा जिसका भगवद प्राप्ति का उद्देश्य है वही साधक गीता के प्रचार प्रसार में सक्रिय भागीदारी निभा सकता सकता है। जो लोगों को गीता से लगाता है वह भगवान का प्रियतर है। उनका कहना था की गीता में युद्ध में भी कल्याण पर चर्चा होती है। अर्जुन ने भी भगवान से युद्ध पर नहीं मानव मात्र के कल्याण और गति पर चर्चा की। गीता कहती है कि मनुष्य का मूल उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण ही है। इसलिए ही भगवान गीता गाते हैं। जो मनुष्य इस पर संवाद कर गीता का अध्ययन करेगा वही मैं ज्ञान यज्ञ से पूजित हो जाउंगा। सेठजी ने कहा कि जब घर घर में गीता पहुंच जाएगी और जन्म लेनेवाला बच्चा गीता गीता बोलेगा तब मैं मानुगा गीता हर व्यक्ति के मुख से बोल रही है। रसिका सरोठिया, अजय लोहिया ने भी विचार व्यक्त किए।

एडवोकेट रघुनाथ खेमका ने आभार व्यक्त किया। सुरेश शर्मा, काशीराम क्याल, जुगल क्याल, राजकुमार गोटेवाला व पवन खेमका आदि सहित बड़ी संखया में गणमान्य उपस्थित थे।

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