आरक्षण पर संघ प्रमुख के बयान पर विपक्ष ने मुद्दा बनाया

दिल्ली में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा आयोजित एक सांस्कृति प्रतियोगी कार्यक्रम “ज्ञानोत्सव” के समापन सत्र में आरएसएस संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गये बयान पर फिर से विवाद छिड़ गया है. संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि “जो आरक्षण के समर्थक है उन्हें उसके विरोधियों के हित को ध्यान में रख कर बात करनी चाहिए व् ऐसा ही इसके विरोधियों को भी करना चाहिए.”

भागवत ने कहा कि आरक्षण पर हर बार तीखी चर्चा होती है जबकि इस पर विभिन्न वर्गों में सामंजस्य जरुरी है. संघ प्रमुख का बयान ऐसे समय पर आया है जब इस वर्ष के अंत में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखण्ड में चुनाव होने वाले है, जबकि वही झारखण्ड आदिवासी बाहुल्य राज्य है. जबकि पिछली बार की तरह उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोहन भागवत द्वारा दिए गये आरक्षण की समीक्षा वाले बयान के कारण बीजेपी को वहां हार का सामना करना पड़ा था.

वही विपक्षी दलों ने संघ प्रमुख के बयान पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. जिसमे कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने कहा कि “संघ व् बीजेपी का दलित विरोधी चेहरा उजागर हो गया है. ये गरीबो को मिले आरक्षण के खात्मे व संविधान बदलने की साजिश है.” तो वही बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि “आरक्षण पर बहस की बात संदेह पैदा करती है. आरक्षण मानवतावादी और संवैधानिक व्यवस्था है. संघ आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.”

संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि “अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है. भागवत ने बातचीत के आधार पर समाधान का महत्व बताते हुए विचार करने का आवाहन किया है. संघ एससी-एसटी, ओबीसी व आर्थिक आधार पर आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है.”

error: Content is protected !!