3 तलाक़ अब अपराध, होगी 3 साल की कैद
कई वर्षो के बाद शाहबानो से लेकर सायराबानो तक के लिए आखिर वो ऐतिहासिक दिन कल आ ही गया, जब 3 तलाक़ बिल लोकसभा में पुनः पास होने के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया. बिल के समर्थन में 99 वोट पड़े तो वही विरोध में 84 वोट पड़े, इसके साथ ही राज्यसभा में बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजने का प्रस्ताव भी 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया. इसके बाद राज्यसभा से श्री वेंकैया नायडू ने इस बिल के पास होने की घोषणा कर दी.
वही सरकार के इस जनहित वाले बिल को पास कराने के प्रति प्रतिबद्धता और राज्यसभा फ्लोर प्रबंधन के आगे सभी विपक्षी धराशाही हो गए. बिल पर बहस के दौरान कई विपक्षी दल गायब दिखे वही कांग्रेस, टीएमसी, सपा, बसपा, माकपा और राजद समेत कई विपक्षी दलो ने इस बिल का विरोध भी किया साथ ही एनडीए के भी जदयू सहित कुछ दलो ने भी इस बिल का विरोध किया। वही कुछ विपक्षी दल सवालो के भी घेरे में दिख रहे है क्योंकि बसपा, टीडीपी, टीआरएस और पीडीपी जैसे कुछ दलो ने सदन से वॉकआउट करके अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की मदद ही की है. सभी पार्टियों ने अपने सांसदों को पहले से ही विह्प जारी कर दिया था, बावजूद उसके कई दलो के अहम सांसद राज्यसभा से नदारद रहे. वही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अमेठी राजपरिवार के संजय सिंह ने उसी दिन कांग्रेस को अपना इस्तीफा देकर राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया था. अटकले अब उनके बीजेपी में जाने की लगाई जा रही है.
242 सदस्यों वाली राज्यसभा में एनडीए के 107 सांसद है जबकि बहुमत के लिए 122 चाहिए लेकिन वोटिंग के दौरान मौजूदा सांसदों की संख्या 183 थी जिसमें बहुमत के लिए 92 का आकड़ा हो गया. इससे बीजेपी को फायदा हों गया और 3 तलाक़ बिल आसानी से राज्यसभा में पास हो गया. अब इस बिल को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर लिए भेजा जायेगा जिसके बाद ये कानून का रूप ले लेगा और पुरे देश में लागू हो होगा।
3 तलाक़ में कुछ मुख्य बिंदु – 1. एक साथ 3 बार तलाक़ कहकर तलाक़ लेना अपराध होगा, 2. लिखकर देने, चिट्ठी भेजने, फोन पर, वाट्सअप पर से भी तीन तलाक़ अब अपराध, 3. तीन तलाक़ देने वाले पति को तीन साल तक की जेल और जुर्माना भी, 4. पीड़ित या परिवार के सदस्य ही एफआईआर दर्ज़ करा सकते है, 5. बिना वारंट गिरफ्तारी के साथ ही मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष जानने के बाद ही जमानत दे सकता है, 6. मजिस्ट्रेट को सुलह कराने का हक़ है, फैसले तक बच्चा माँ के पास रहेगा, पति पत्नी बच्चे का गुजारा भत्ता देंगे जो मजिस्ट्रेट तय करेगा।
पहले 3 तलाक़ बिल और अब पास हुए 3 तलाक़ बिल में अंतर – पहले कोई भी एफआईआर कर सकता था लेकिन अब पीड़िता या उसके सम्बन्धी ही कर सकेंगे, पहले आरोपी पति को जमानत का अधिकार नहीं था लेकिन अब पत्नी का पक्ष जानने के बाद मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है, पहले सुलह की कोई गुंजाइस नहीं थी लेकिन अब मजिस्ट्रेट सुलह करा सकता है.
3 तलाक़ बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद कई राजनितिक दलों ने इसका स्वागत किया तो कई ने इसे गलत बताते हुए नाराजगी जाहिर की. वही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आने वाले दिनों में इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही लेकिन फ़िलहाल जो मुस्लिम महिलाये इससे पीड़ित थी उन्होंने इस पर ख़ुशी जाहिर करी है और सरकार को धन्यवाद दिया।